लाल-झर-झर-लाल-झर-झर-लाल हरा बस किंचित कहीं ही जरा-जरा बहुत दूरी पर उकेरे वे शिखर-डांडे श्वेत-श्याम ऐसा हाल! अद्भुत लाल! बकरियों की निश्चल आँखों में खुमार बन कर छा गया आ गया मौसम सुहाना आ गया
हिंदी समय में वीरेन डंगवाल की रचनाएँ